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Tuesday, November 13, 2012

कुछ और है


तुम्हारे मंजिलो का मुकाम कुछ और है 
मेरे रस्ते का ठीकाना कुछ और है 

हाथ जो पकड़ लोगे तुम मेरा जोर से 
मुड़ जाऊंगा शायद मै अगले मोड़ से 

राह दिखाकर भटका न देना तुम प्रिये 
दो घुट पिलाकर प्यासा न रखना तुम प्रिये 

अपनी मंजिले तो वही है जो तुम दिखाओ 
ये तो बस तरीका है की तुम और पास आओ 

और मेरी आँखों की बेबसी तुम कभी देख पाओ 
इनको देख कर साथ न छोर देना प्रिये

अपनी पुरानी कहानी फिर से दोहराना न प्रिये 
वरना इन मुड़े हुए पन्नो में खो जाऊंगा 

किताबो की धुल में फिर से सो जाऊंगा  
दुनिया की जुबान फिर से बढ़ चढ़ कर बोलेंगी

मेरी आँखों में तुमको फिर से तटोलेंगी
उनके सवालो में मेरे जवाबो का सम्बन्ध न होगा 

हर बार की तरह खुद से फिर सामना होगा 
अकेले में फिर कुछ कहूँगा खुद से 

तसल्ली एक बार और लूँगा खुद से 
मेरे रस्ते तुम्हारी मंजिले न ढूंढ पाए 

तुम्हारी आहटे मुझे और खीच लाये 
अब ये एहसास एक बार फिर से हो गया 

खुद से खुद का सामना फिर से हो गया 
तुमने बेबस कर ही दिया कहने को अब 

तुम्हारी मंजिलो का मुकाम कुछ और है 
मेरे रस्ते का ठीकाना कुछ और है 

Tuesday, June 8, 2010

ye bandhan ye uljhan

मै तो बहुत आगे जाने वालो में से हु ना,
पर क्या करू मेरा बंधन मेरी उलझन बन गया है,
क्यों भइया क्या हो गया ?
क्या बताऊ  भइया अपना तो हाल ही ऐसा हो गया है ,
अरे कुछ बताओ तो ?
क्या कहू ये रिश्ते-नाते,समाज,मर्यादा,प्यार और परिवार,
सब मुझे अपने अपने जाल में बाँध दिए है भईया !
क्या करू कुछ बताओ ?
तुम ही कहते हो न की मै बहुत आगे जाऊँगा,

अरे मेरे लाल तू तो अभी भी बच्चा है
पक्का हो के भी कच्चा है , 
इस समाज में मर्यादा को प्यार से,
परिवार के रिश्ते-नातो को दुलार से,
अपने आप को मुक्त कर
नहीं तो ये सदियों की बेड़िया है 
खुद को संभाल, 
रास्ता निकाल, 
गिरा दे सारी दीवाल,
बस आज़ादी तो तेरे भीतर ही है,
उसको अब बाहर निकाल

Monday, June 7, 2010

pahli baarish mumbai me

आज मुंबई में झूम के बारिश हुई
एक एक बूँद इशारा कर रही थी
अपना परिचय देते हुए
झूम के हर जगह, हर गली, हर कुचे में
शहर का हर कोना बच नहीं पाया
जी किया की समेट लू हर बूँद को
अपनी आँखों की कोर में
जितना हो पाया समेट लिया
जो बचा वो तुम समेट लेना
अब तुम ही समेटो

Monday, May 31, 2010

aaj garmi hai

aaj garmi bahut hai,
kya hua ?
koi nayi baat to nayi,
nayi to baat hai
nahi to pata kaise chalta ki garmi bahut hai
ehsas hi to zindagi se pahachan karate hai
bs hm hi nahi pahachan pate,
koi baat nahi durghatna se der bhali.