आज मुंबई में झूम के बारिश हुई
एक एक बूँद इशारा कर रही थी
अपना परिचय देते हुए
झूम के हर जगह, हर गली, हर कुचे में
शहर का हर कोना बच नहीं पाया
जी किया की समेट लू हर बूँद को
अपनी आँखों की कोर में
जितना हो पाया समेट लिया
जो बचा वो तुम समेट लेना
अब तुम ही समेटो
एक एक बूँद इशारा कर रही थी
अपना परिचय देते हुए
झूम के हर जगह, हर गली, हर कुचे में
शहर का हर कोना बच नहीं पाया
जी किया की समेट लू हर बूँद को
अपनी आँखों की कोर में
जितना हो पाया समेट लिया
जो बचा वो तुम समेट लेना
अब तुम ही समेटो
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